हिंदी कहानियां - भाग 210
सबसे प्यारी दोस्ती
सबसे प्यारी दोस्ती एक बहुत घना जंगल था। इतना कि उसमें सूर्य की किरणें भी नहीं पहुंच पाती थीं। इस जंगल में तरह-तरह के भयानक जानवर थे। सभी सुख-चैन से रह रहे थे। एक दिन उस घने और भयानक जंगल में एक हाथी आ पहुंचा। देखने में पहाड़ जैसा ऊंचा और शक्तिवान। जब वह चलता, तो सारे जानवर उसे छिपकर देखते थे। उसके चिंघाड़ने से जंगल में भगदड़ मच जाती थी। बड़े जानवर छिप जाते और छोटे जानवर अपनी मांदों में दुबक जाते। जंगल के जानवरों का सुख-चैन छिन गया। यह देख, हाथी बहुत परेशान रहने लगा। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। वह तो उन्हें दोस्त बनाने के लिए प्यार से आवाज लगाता था, पर होता उलटा ही था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसमें कौन सी बुरी आदत है? वह रात-दिन यही सोचने लगा। एक दिन हाथी उदास मन से धीरे-धीरे घूम रहा था। जब वह जंगल के एक पुराने बरगद के नीचे पहुंचा, तो उसे एक चीख सुनाई पड़ी। कोई चिल्ला रहा था, “बचाओ-बचाओ!” हाथी ने सिर उठाकर देखा, एक नन्हा सा चूहा पेड़ की टहनियों में उलझा चिल्ला रहा था। हाथी बोला, “घबराओ नहीं, मैं अभी तुम्हें बचाता हूं।” हाथी को देखकर पहले तो चूहा कुछ डरा। लेकिन मरता क्या न करता! चूहा डर भूल गया और हाथी को डबडबाई आंखों से देखने लगा। हाथी ने अपनी सूंड ऊपर उठा दी और चूहा उस पर बैठकर नीचे उतर आया। नीचे आते ही चूहा तेजी से भाग गया। उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। बेचारे हाथी ने तो सोचा था कि चूहा ही उसका दोस्त बनेगा, पर वह भी भाग गया। अब हाथी को विश्वास हो गया कि उसका कोई भी दोस्त नहीं बन सकता। यह सोचकर वह रोने लगा। लेकिन थोड़ी ही देर में चिड़ियों का मधुर गाना उसे सुनाई पड़ने लगा। ऐसा गाना उसने इस जंगल में पहले कभी नहीं सुना था। देखते ही देखते जंगल के सारे जानवर हाथी के चारों तरफ एक घेरा बनाकर नाचने-गाने लगे। कोई सीटी बजा रहा था, तो बंदर ढोल पीट रहा था। शेर सुरीली आवाज में गा रहा था। हाथी को यह सब एक सपने की तरह लग रहा था। हाथी ने हैरानी से देखा, झुंड में वही चूहा सबसे आगे था, जिसे हाथी ने बचाया था। उस छोटे चूहे ने कहा, “आज तुमने मुझे बचाया है। तुम बहुत ही अच्छे हो। शरीर से चाहे कितने ही बड़े हो, परंतु तुम्हारा दिल दया और प्रेम से भरा हुआ है। आज से तुम हम सबके दोस्त हो और हम सब तुम्हारे।” हाथी ने उन्हें बताया कि असल में उसका जोर से बोलने का मतलब जानवरों को डराना और नुकसान पहुंचाना नहीं था, बल्कि दोस्त बनाना था। अब हाथी भी उस नाच-गाने में शामिल हो गया। सारे जानवर और भी झूम-झूमकर नाचने लगे। हाथी फिर कभी इतने जोर से नहीं चिल्लाया।